1972 के पूर्व उत्तर प्रदेश के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय स्थानीय निकायों के प्रबन्धन से सम्बन्धित अधिनियमों द्वारा गठित जिला परिषद एवं नगर निगमों सहित नगर पालिकाओं द्वारा संचालित एवं नियन्त्रित किये जाते थे। इनके अधिनियमों में कतिपय निम्नवत् हैं- -
उ0 प्र 0 क्षेत्र समिति एवं जिला परिषद अधिनियम , 1961 -
उ0 प्र0 नगर पालिका अधिनियम, 1916 - उ0 प्र0 नगर महापालिका अधिनियम, 1959
प्रदेश में साक्षरता की प्रगति की आवष्यकता को समझते हुये, प्रदेष सरकार द्वारा सुनियोजित परियोजनाओं के माध्यम से हस्तक्षेप किये जाने की आवष्यकता का अनुभव किया गया। इसी पृष्ठभूमि के दृष्टिगत उ0 प्र0 शासन द्वारा उत्तर प्रदेष बेसिक शिक्षा अधिनियम, 1972 ( अधिनियम संख्या-34) के रूप में पारित हुआ। इस अधिनियम का मूल उद्देश्य हाईस्कूल एवं इण्टर कालेजों को छोड़कर प्रदेश के अन्य विद्यालयों में बेसिक/ बुनियादी/ प्राथमिक शिक्षा के गठन, समन्वयन एवं इसके प्रदान किये जाने की क्रिया को नियंत्रित करना था। इस अधिनियम के द्वारा " उत्तर प्रदेष बेसिक शिक्षा परिषद" नाम की स्वायत्षाशासी निकाय निदेषक, बेसिक शिक्षा की अध्यक्षता में गठित किया गया। बेसिक शिक्षा परिषद बेसिक प्राथमिक विद्यालयों के अध्यापकों की नियुक्ति, स्थानान्तरण एवं तैनाती नियंत्रित करती है, विद्यालय समय अवधि निर्धारित करती है, तथा प्रदेष में बेसिक/ प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने वाले निजी विद्यालयों को मान्यता देती है। उत्तर प्रदेष बेसिक शिक्षा परिषद अधिनियम, 1972 वर्ष 2000 में संषोधित किया गया। संषोधित अधिनियम में ग्रामीण समुदाय को शक्ति हस्तांतरित किये जाने के सिद्धान्त को समावेषित करते हुए शिक्षा प्रबन्धन को विकेन्द्रीकृत कर मूल में कार्य कर रही प्रतिभागी एजेन्सी को समर्थवान बनाना। इसी प्रकार से बेसिक/ प्राथमिक शिक्षा से सम्बन्धित अन्य अधिनियमों को भी संषोधित किया गया। प्रत्येक गाँव/ ग्राम्य समूह के लिये ग्राम्य शिक्षा समिति निम्नवत् गठित है- - ग्राम प्रधान - अध्यक्ष ।
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बेसिक/ प्राथमिक विद्यालयों के छात्रों के तीन अभिभावक ( एक महिला) - सदस्यगण । - बेसिक/ प्राथमिक विद्यालय के प्रधान - सदस्य सचिव अध्यापक/ वरिष्ठतम प्रधान अध्यापक ( ग्रामसभा में एक से अधिक विद्यालय होने की स्थिति में)
ग्राम शिक्षा समिति अपने पंचायत क्षेत्रों में बेसिक/ प्राथमिक विद्यालय की स्थापना, नियंत्रण एवं योजना प्रारूप बनायेगी। यह समिति अपने मुख्य कार्यों के अन्तर्गत भवन निर्माण एवं अन्य प्रगति योजनाओं के विषय में जिला पंचायत को परामर्श देगी।
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